Things Only 90s Kids Can Relate To: आज के बच्चों को स्मार्टफोन की दुनिया के अलावा कुछ पता ही नहीं! उनके हाथों में अत्याधुनिक गैजेट्स और मनोरंजन के लिए अनगिनत विकल्प मौजूद हैं. मगर90 के दशक (90s kids) में हमारा बचपन कुछ अलग ही था. वो एक ऐसा दौर था, जहां टेक्नोलॉजी अभी अपनी शुरुआत कर रही थी और मनोरंजन सीमित साधनों में ही ढूंढना पड़ता था. फिर भी, खुशियां कम नहीं थीं. आइए देखें कुछ ऐसी चीजें जो सिर्फ90 के दशक (90s kids) के भारतीय बच्चों का ही सौभाग्य थीं, उन्हें थोड़ा और गहराई से जानते हैं:
Doordarshan का राज
मनोरंजन के लिए सिर्फ एक ही चैनल हुआ करता था – दूरदर्शन! रामायण और महाभारत जैसे धारावाहिक पूरे देश को एक साथ बांध देते थे. रविवार की सुबह को शक्तिमान देखना और शाम को चंद्रकांता के किस्से सुनना पूरे हफ्ते का इंतज़ार करवाते थे. दूरदर्शन पर सिर्फ सीमित कार्यक्रम आते थे, तो हर चीज का अपना महत्व होता था. रीमोट ना होने पर उठकर चैनल बदलना भी अपने आप में एक मजेदार अनुभव था!
Cassette tape की धुन
एमपी3 प्लेयर तो दूर की कौड़ी था, गानों का मजा कैसेट प्लेयर और वॉकमेन पर ही आता था. मनपसंद गानों के कैसेट इकट्ठा करना और उन्हें बार-बार सुनना एक शौक हुआ करता था. कभी-कभी कैसेट टेप उल्टा लग जाता था, तो उसे ठीक करने के लिए पेन्सिल को रील में घुमाना पड़ता था. ये फ़्रिक्वेन्सी ठीक करने की जद्दोजहद और एक ही कैसेट को बार-बार सुनना, ये वो यादें हैं जिन्हें भुलाया नहीं जा सकता.
Comics का संसार
टैंटिन, चचा चौधरी, नंदन, पिंकी-बिट्टू – ये कॉमिक्स बचपन का एक अहम हिस्सा थीं. इन कहानियों में खो जाना और घंटों बिता देना, वो मजा आजकल की डिजिटल दुनिया नहीं दे सकती. हीरो की जीत पर खुशी होना और विलेन की हार पर ताली बजाना, ये कॉमिक्स का असली मज़ा था.
Sweet and sour memories
गोल्ड स्पॉट, रॉल्स रॉल्स, कैंडी सिगरेट – ये चटपटी चीजें बचपन की खुशियों का एक बड़ा हिस्सा थीं. 5 रुपये की जेब खर्च में इन मीठी और खट्टी चीजों का मजा लेना, वो एक अलग ही अनुभव था. कभी-कभी दुकानदार से छिपकर मसाला पान भी खा लिया करते थे, जो कि बचपन की एक और शरारत थी!
School fun of 90s kids
स्कूल का मज़ा भी 90 के दशक (90s kids) में कुछ अलग ही था. सुबह जल्दी उठकर स्कूल की वर्दी पहनना और जूते पॉलिश करना ये रोज़ की रस्म हुआ करती थी. कभी-कभी वर्दी चेकिंग से बचने के लिए तरह-तरह के बहाने बनाते थे. शिक्षकों का डर और सम्मान दोनों होता था. शून्यकाल में अधूरा होमवर्क पूरा करना और क्लास में गौर से नोट्स ना लेते हुए भी एग्जाम में अच्छे नंबर लाना – ये90 के दशक (90s kids) के स्कूली जीवन के कुछ खास पहलू थे.
Street cricket
आजकल की तरह हर सुविधा ना होने पर भी मनोरंजन की कमी नहीं थी. क्रिकेट खेलने के लिए किसी बड़े मैदान की ज़रूरत नहीं थी, गली में एक दीवार और कुछ ईंटें काफी होती थीं. गिल्ली-डंडा, लूडो, छिपम छिपाई – ये ऐसे खेल थे जो दोस्तों(90s kids) के साथ मिलकर खेले जाते थे. इन खेलों में ना सिर्फ शारीरिक व्यायाम होता था बल्कि आपस में तालमेल बिठाना भी सीखते थे.
Telephone का इंतज़ार
मोबाइल फोन तो दूर की बात थी, लैंडलाइन फोन पर बात करने के लिए भी बारी का इंतज़ार करना पड़ता था. घर पर एक ही फोन होता था, जिसे अक्सर बड़े लोग इस्तेमाल करते थे. अपने किसी दोस्त से बात करने के लिए घंटों इंतज़ार करना पड़ता था. कभी-कभी तो घरवालों से छिपकर किसी से बात करना भी पड़ जाता था, ये भी एक रोमांच हुआ करता था! लैंडलाइन फोन की घंटी बजने की आवाज़ का आज भी बचपन की याद दिला देती है.
Video games की दीवानगी
भले ही आज के जैसी हाई-ग्राफिक्स वाली गेम्स ना हों, लेकिन सुपर मारियो, Aladdin और डॉट मैट्रिक्स वाली गेम बॉय खेलने का अपना ही मज़ा था. इन साधारण से दिखने वाले खेलों में घंटों बिताए जा सकते थे. कभी-कभी तो एक ही लेवल को बार-बार पार करने की कोशिश में पूरी रात गुज़र जाती थी! इन वीडियो गेम्स ने तर्क लगाना और समस्या सुलझाने की कला भी सिखाई.
Film world
90 के दशक का सिनेमा कुछ खास था. सलमान खान और गोविंदा के डांस नंबर, शाहरुख खान का रोमांस और रवीना टंडन का जलवा – ये चीजें उस समय की फिल्मों की जान हुआ करती थीं. नई फिल्म आने का बेसब्री से इंतज़ार रहता था. वीडियो कैसेट पर नई फिल्म आने का इंतज़ार और उसे बार-बार देखना, ये एक अलग ही अनुभव था. एक फिल्म को कई बार देखने के बाद भी उसका हर डायलॉग जुबानी याद हो जाता था!
90 का दशक बीत चुका है, टेक्नोलॉजी ने कितनी भी तरक्की कर ली है, लेकिन ये यादें दिल में हमेशा ताज़ा रहेंगी. जब भी कभी पुराने दूरदर्शन धारावाहिकों के क्लिप या फिर90 के दशक (90s kids) के गाने सुनते हैं, तो एक पल के लिए समय मानो रुक जाता है और हम फिर उसी बचपन की दुनिया में खो जाते हैं. वो पड़ोसियों के साथ मिलकर खेले गए गली क्रिकेट के मैच, कॉमिक किताबों में खोए हुए दिन, कैसेट प्लेयर पर बार-बार सुने गए गाने – ये वो छोटी-छोटी खुशियां थीं जिन्होंने हमारे बचपन को खास बना दिया. ये एक ऐसा दौर था जो लौटकर नहीं आएगा, लेकिन उसकी यादें दिल में हमेशा सहेज कर रखी जा सकती हैं. आपको90 के दशक (90s kids) की कौन सी यादें सबसे ज्यादा याद आती हैं? नीचे कमेंट्स में ज़रूर बताइए!
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